भारतीय संविधाान के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में एक राज्यपाल तथा दो सदनों का विधाान मंडल है। एक सदन विधाानसभा दूसरा विधाान परिषद् कहलाता है। राज्य में एक उच्च न्यायालय भी है। राज्य की कार्यपालिका व्यक्ति राज्यपाल में निहित है और उसका प्रयोग वह संविधाान के अनुसार या तो स्वयं अथवा अपने अधाीनस्थ अधिाकारियों के माधयम से करता है। राज्यपाल, जो भारत का नागरिक हो तथा 35 वर्ष से कम आयु का न हो, राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त किया जाता है। राज्यपाल, राष्ट्रपति की संतुष्टि तक अपना पद धाारण करता है। उसी कार्यविधि पद ग्रहण की तिथि से पांच वर्ष की होती है, किंतु वह इस अवधाी के सामाप्त होने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पदग्रहण करने तक पदासीन रह सकता है। राज्यपाल न तो संसद के किसी सदन का और न ही राज्य विधान विधान मंडल के किसी सदन आवास का प्रयोग कर सकता है। साथ ही वह संविधाान की द्वितीय अनूसूची में उल्लिखित वेतन, भत्तों व विशेषाधिकारियो का उपयोग कर सकता है। राज्यपाल अपना पद ग्रहण करने से पहले राज्य के उच्च न्यायालय के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधाीज के समाक्ष संविधाान और विधिा के परीक्षण ओर सरंक्षण के लिए तथा जन कल्याण के लिए अपनी सेवाएं अर्पित करने की शपथ लेता है। राज्यपाल को राज्य कार्यपालिका व्यक्ति के अंतर्गत, किसी अपराध में अथवा किसी विधि के विरुद्ध सिद्ध - दोष व्यक्ति के दंड को क्षमा, (कम करने) का अधिकार है।